हेलो दोस्तों! आज हम बात करेंगे URL Kya Hai | URL क्या है? के बारे में। एक Internet user URL शब्द से वाकिफ होता ही है, परंतु बहुत कम ऐसे लोग हैं जिन्हें URL का क्या उपयोग है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यो है? इस बारे मे पता होगा।
तो आज हम URL क्या है और यह काम कैसे करता है? के बारे मे चर्चा करने जा रहे हैं साथ ही हम आपको url के विभिन्न स्वरूपों से भी परिचित करवाएंगे।
अगर आप भी उन लोगो मे से है जिनको URL के बारे में नहीं पता है की URL Kya Hai hai? तो आज हम इस पोस्ट मे आपको URL के बारे मे बहुत सारी रोचक जानकारी विस्तारपूर्वक ठंग से देने जा रहे हैं। साथ ही इस पोस्ट में हम यूआरएल के महत्व, इतिहास, और उसके आज की दुनिया में उपयोग के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।
यूआरएल क्या है | URL Kya Hai?
Science and technology की उन्नति ने आधुनिक दुनिया को इंटरनेट के साथ जोड़ दिया है, जिसने संचार की दुनिया को बदल दिया है। इंटरनेट ने जगह-जगह डेटा, वेबसाइटों, वीडियो, फ़ाइलों और अन्य डिजिटल संसाधनों के संचार के लिए यूआरएल (url) के साथ सहयोग किया है।
URL (यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर) एक website का address (web address) होता है, जो web browser की मदद से इंटरनेट पर किसी भी web site, video, image आदि को ढूंढ़ने का काम करता है।
जैसे अगर आपको किसी के घर तक पहुंचना है तो आपको एक address की ज़रूरत होती है, ठीक वैसे ही आपको किसी website तक पहुंचने के लिए एक Url की ज़रूरत होती है। इसलिए हम कह सकते है URL का दूसरा नाम ही web address होता।
किसी भी website या इंटरनेट के किसी भी संसाधन को access करने के लिए या उस तक पहुंचने के लिए आपको उस website या संसाधन का निर्धारित URL पता होना चाहिए। आइये दोस्तों url के बारे और विस्तृत चर्चा करते है।
URL Kya Hai In Hindi?
अगर हम सबसे आसान शब्दो मे देखे तो URL (यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर) एक link होता है। हम किसी भी website पर जाते है तो उपर हमें एक link show होता है, उस link को ही हम URL कहते है।
अगर हम इंटरनेट पर मौजूद किसी video, image या file को download करते है तो हमें सबसे पहले उसका link copy करना पढ़ता है, वह link ही url कहलाता है। Url को हम किसी भी website का नाम या फिर उस website की पहचान कह सकते है।
उदहारण के लिए :- अगर आप कोई website किसी दूसरे व्यक्ति को share करना चाहते है तो आपको पहले उस website का link copy करना पढ़ता है। वह link ही एक तरह का url होता है।
अगर हम दूसरे शब्दों मे देखे तो, URL वेबसाइट का पता बताता है और इंटरनेट पर उसे खोजने के लिए उपयोग किया जाता है। यह वेब पेज के पते को सिस्टम में निर्देशित करता है ताकि आप उस तक आसानी से पहुंच सकें।
एक URL को हम उसके तीन मुख्य भाग से पहचान सकते हैं।
- प्रोटोकॉल (Protocol): यह बताता है कि वेब पेज को कैसे पहुंचना है, जैसे HTTP, HTTPS, FTP, आदि।
- डोमेन (Domain): यह वेबसाइट का नाम होता है।
- पाथ (Path): यह वेबसाइट के निर्देशित पृष्ठ का पता होता है, जो आपको एक वेबसाइट के अलग अलग section में ले जाता है।
एक उदाहरण के रूप में :- https://www.example.com/home एक URL हो सकता है, जहां https:// प्रोटोकॉल है, www.example.com डोमेन है और “/home” पथ है। इस URL का उपयोग करके आप वेबसाइट के पेज तक पहुंच सकते हैं।
नीचे हम इन भागो के बारे मे विस्तार से समझेंगे।
URL Full Form?
यूआरएल, जिसे “यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर” के रूप में जाना जाता है, एक तकनीकी शब्द है जो वेब पते (web address) को दर्शाने में मदद करता है।
url Kya Hai सबसे आसान भाषा मे देखा जाए तो URL (यूआरएल) वेब पेजों, फ़ाइलों या अन्य इंटरनेट संसाधनों की directory है। URL वेब पता (web address) को दर्शाने वाला एक टेक्निकल शब्द है, यह एक वेब पते (web address) का format structure है जिसका उपयोग वेब ब्राउज़र (web browser) के माध्यम से किसी वेबसाइट तक पहुँचने के लिए किया जाता है।
URL का उपयोग करके उपयोगकर्ता (user) किसी भी वेबसाइट, web page, इमेज, वीडियो, आदि तक पहुँच सकते हैं।
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URL की परिभाषा In Hindi | Definition Of Url In Hindi
URL (यूआरएल) की परिभाषा है: URL (यूआरएल) एक टेक्निकल शब्द है जिसका मतलब है – “यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर” (Uniform Resource Locator)। URL एक वेब पता होता है जिसे वेबसाइटों, वेब पृष्ठों, फ़ाइलों, संसाधनों या सेवाओं की पहचान और पहुँच के लिए उपयोग किया जाता है।
यह एक यूनिफ़ॉर्म (uniform) और स्टैंडर्डाइज़्ड (standardised) संरचना होती है जो इंटरनेट प्रोटोकॉल के माध्यम से वेब ब्राउज़र को सर्वर के साथ Data के आदान-प्रदान के लिए बताती है। URL के घटकों में प्रोटोकॉल, डोमेन नाम, पथ, पैरामीटर आदि होते हैं जो एक विशिष्ट संसाधन तक पहुँच का मार्ग निर्दिष्ट करते हैं।
URL Kya hai? और ये कैसे काम करता है।
URL की परिभाषा In English | Definition Of Url In English
URL वेब ब्राउज़र द्वारा वेबसाइट के address को पहचानने के लिए उपयोग किया जाता है। URL द्वारा किसी भी वेबसाइट, वेब पेज, इमेज, वीडियो, ऑडियो, डाउनलोड फ़ाइल, आदि तक आप पहुंच सकते हैं।
Url definition in english – URL (Uniform Resource Locator) is a web address used to identify and locate resources, such as websites, web pages, files, services, or other digital assets, on the internet. It provides a uniform and standardized structure that communicates data exchange between web browsers and servers through internet protocols. The components of a URL typically include the protocol, domain name, path, parameters, and more, which specify the pathway to access a specific resource.
URL के भाग | Parts of URL in Hindi
एक URL बहुत सारे पार्ट्स (भाग) से मिलकर बना होता है। Url के हर Part का कुछ न कुछ कार्य होता ही है। क्योंकि Internet पर दिया हुआ प्रत्येक संसाधन किसी न किसी वेबसाइट या वेब पेज पर उपलब्ध होता है, इसी कारण हम url की मदद से यह पता लगाते हैं कि वह संसाधन किस वेबसाइट या किस वेबपेज पर मौजूद है। इसलिए URL के पार्ट्स (भाग) के बारे में जानना भी ज़रूरी है।
URL को एक खास structure से लिखा जाता है। जिसे URL Syntax कहते है। URL Syntax ही URL Structure को Defined करता है। मतलब URL कैसे लिखना है URL सिंटैक्स ही बताता है। तो आइये URL Syntax के हर Part को विस्तार से जानते हैं।
हर URL के मुख्य रूप नीचे दिए गए कुछ निम्नलिखित Parts होते हैं: –
- Protocol (प्रोटोकॉल)
- Separator (सेपरेटर)
- Subdomain (सुबडोमेंन)
- Domain Name (डोमेन नाम)
- Directory (डायरेक्टरी)
- Resource (रिसोर्स)
1. Protocol (प्रोटोकॉल)
URL (Uniform Resource Locator) protocol, या वेबपेज प्रोटोकॉल, एक इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है जो दिया जाता है ताकि एक वेब ब्राउज़र या अन्य User एक नेटवर्क या वेब सर्वर के साथ कैसे कनेक्ट करें।
URL का प्रोटोकॉल यूआरएल के प्राथमिक भाग होता है और user को बताता है कि किस Protocol का उपयोग करके वेब पेज लोड करें या डेटा संचार करें। कुछ प्रमुख URL प्रोटोकॉल हैं:
- HTTP (Hypertext Transfer Protocol): ज़्यादातर वेब पेजों के लिए यही उपयोग होता है, यह गैर सुरक्षित होता है।
- HTTPS (Hypertext Transfer Protocol Secure): इसमें डेटा का सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड (गोपनीय) तरीके से भेजा जाता है। यह वेबसाइटों की सुरक्षा और गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए उपयोग होता है।
- FTP (File Transfer Protocol): फ़ाइलों को सर्वर से डाउनलोड या अपलोड करने के लिए उपयोग होता है।
- SMTP (Simple Mail Transfer Protocol): इलेक्ट्रॉनिक मेल (ईमेल) को भेजने के लिए उपयोग होता है।
ऐसे और अन्य प्रोटोकॉल भी है जैसे POP3, IMAP, IRC, आदि।
URL प्रोटोकॉल के बाद, user किसी भी वेब पता तक पहुंच सकता है, जो वेब पेज, फ़ाइल, वेब सेवा आदि का पता लगाता है। उदाहरण के लिए:
URL Example
http://www.example.com इस URL में “http” है URL प्रोटोकॉल, और www.example.com एक वेबसाइट का पता है। यह user को वेब ब्राउज़र के माध्यम से वेब पेज तक पहुँचने की अनुमति देता है।
ftp://ftp.example.com/files/file.txt: इस URL में “ftp” है URL प्रोटोकॉल, और ftp.example.com एक FTP सर्वर का पता है। यह उपयोगकर्ता को उस सर्वर से फ़ाइल “file.txt” को डाउनलोड करने या अपलोड करने की अनुमति देता है।
https://www.example.com/login: इस URL में “https” URL प्रोटोकॉल है और www.example.com एक सुरक्षित वेबसाइट का पता है। यह उपयोगकर्ता को सुरक्षित तरीके से वेबसाइट तक पहुँचने की अनुमति देता है और “/login” उपयोगकर्ता को लॉगिन पेज पर नेविगेट करता है।
इस तरह, URL प्रोटोकॉल वेब ब्राउज़र को यह बताता है कि उपयोगकर्ता किस प्रोटोकॉल का उपयोग करके संचार करने की आवश्यकता है।
2. Separator (सेपरेटर)
Url Separator एक तरह का special Sign होता है। यह URL के सभी parts को अलग करने का कार्य करता है। उदाहरण के HTTP या HTTPS के बाद जो colon(:) और स्लैश(/) होता है (://), उसे ही url separator कहते है।
हर URL में Separator (://) सिर्फ Protocol के बाद ही होता है। इसके अलावा URL के दूसरे Part को अलग करने के लिए “सिर्फ (/) स्लैश का उपयोग होता है।
3. Subdomain (सुबडोमेंन)
किसी URL में Protocol के बाद और Domain Name के पहले आने वाले Name को Subdomain कहा जाता है। अगर देखा जाए तो यह Domain Name का ही एक हिस्सा होता है। जिसे Domain Name से अलग केवल एक डॉट (.) के माध्यम से किया जाता है।
उदहारण के तौर पर एक Url – https://www.everythingforall.in के जैसा होता है। इसमें WWW को Subdomain माना जाता है। WWW URL में सबसे ज्यादा use होने वाला Subdomain है। परंतु इसे लगाने या हटाने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है।
इसके अलावा भी हम Subdomain अपनी इच्छा अनुसार बना सकते हैं। जैसे की https://google.com इसमें आप देख सकते हैं की यहाँ Subdomain – google.com है, और इसमें WWW नहीं है, अगर आप चाहे तो रख भी सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
4. Domain Name (डोमेन नाम)
ज्यादातर Website का Domain Name उसके Website का name पर ही होता है। उदाहरण के लिए आप समझ लिए की एक वेबसाइट का नाम everythingforall है तो इसका Domain Name https://google.com है।
आप इससे ही समझ गए होंगे कि एक URL का Domain Name क्या होता है और कहाँ होता है। इसकी मदद से आप किसी भी वेबसाइट तक पहुंच सकते हैं और उसे देख सकते हैं।
5. Directory (डायरेक्टरी)
Directory किसी Website की एक ऐसी जगह है जो किसी special काम के लिए समर्पित होती है। Directory से हम वेबसाइट को कई हिस्सो में बांट सकते हैं।
उदाहरण के लिए किसी वेबसाइट पर सिर्फ आर्टिकल पब्लिश किए जाते हो, वहाँ अगर कोई video भी पब्लिश करना चाहे तो उसे वीडियो के लिए एक अलग Directory बनानी पड़ेगी, जहाँ Only Videos ही होंगे। एक
6. Resource (रिसोर्स)
एक URL में Resource एक संसाधन का नाम होता है। Resource एक Web Server पर रखा गया होता है, जिससे आप URL की मदद से Access करना चाहते हैं।
यह वेब पेज भी हो सकता है। किसी फ़ाइल के अंत में File Extension होता है, जिसकी मदद से आप उस File के प्रकार को पहचान सकते हैं। कुछ सबसे ज़्यादा use होने वाले File एक्सटेंशन है – .html, .htm, .php, .asp, .cgi, .xml, .jpg और .png इत्यादि है।
URL का इतिहास | History of URL
URL का निर्माण तैमूर बर्नर्स-ली (Tim Berners-Lee) ने किया। तैमूर बर्नर्स-ली, ब्रिटिश इंजीनियर और वैब के संस्थापक, ने 1989 में एक प्रस्ताव तैयार किया जिसमें उन्होंने इंटरनेट पर एक साधारित संसाधन प्राप्त करने के लिए URL का उपयोग सुझाया।
उन्होंने भी एचटीटीपी (Hypertext Transfer Protocol, HTTP) और हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (Hypertext Markup Language, HTML) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यह प्रस्ताव और उनका काम नंबर वन वेब ब्राउज़र “वर्ल्ड वाइड वेब” (WorldWideWeb) के साथ संयुक्त रूप से साझा किया गया।
URL कैसे काम करता है?
इंटरनेट पर उपलब्ध सभी वेबसाइट का अपना एक IP Address (internet protocol address) होता है। जिसकी मदद से हम उसे Access कर पाते हैं। इंटरनेट पर हर वेबसाइट का एक यूनिक IP पता होता है जो numerical (संख्यात्मक) होता है।
जब हम किसी भी URL को ब्राउज़र में खोजते हैं, तो ब्राउज़र DNS की सहायता से उस URL को IP पते में बदल देता है। इसके बाद ब्राउज़र वेबसाइट के सर्वर पर पहुँचता है और वहां से सूचना प्राप्त करता है।
लेकिन IP पता याद रखना कठिन हो सकता है, इसलिए DNS सिस्टम का उपयोग किया गया । इससे हम किसी भी वेबसाइट तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
उदाहरण के रूप में, Google.com, Yahoo.com, Bing.com, Amazon.com, Flipkart.com के IP पते हैं: 216.58.194.206, 98.138.219.232, 13.107.21.200, 87.238.85.156, 199.59.242.153।
इस तरह अब किसी भी User को IP याद करने की आवश्यकता नहीं है। फिर अगर हम बात करते है URL की, Domain Name की आप सहायता से सर्वर से कनेक्शन तो बना सकते हैं परंतु सर्वर पर उपलब्ध किसी एक संसाधन को Access करने के लिए URL को बनाया गया है।
इसके तीन भाग होते हैं और सब का अपना एक महत्वपूर्ण काम होता है। जैसे की –
URL Parts
- Protocol – यह संसाधन को transfer करने का काम करता है।
- Domain Name – यह सर्वर की पहचान करने का काम करता है।
- Directories और File Name – यह सभी सर्वर से कनेक्शन बनाने के बाद सर्वर पर संसाधन को ढूंढने में मदद करता है। कुछ इसी तरह URL काम करता है। फिर कही जाकर संसाधन Load होता है।
URL कैसे खोलें?
अगर आपके पास किसी संसाधन का URL है तो उसे Open करने के लिए आप Web Browser का इस्तेमाल कर सकते हैं। चाहे वह Facebook के इमेज या YouTube के Video का URL हो।
URL को खोलने के लिए सबसे पहले आप किसी भी Web Browser को खोलें, उस Web Browser में ऊपर एक URL Bar होता है, उस URL Bar में URL डालकर Enter या Search पर क्लिक करें। उसके बाद आपकी Internet Speed के अनुसार वह Url खुल जाएगा।
URL आज की दुनिया में उपयोग
URL (Uniform Resource Locator) का उपयोग आज की दुनिया में कई क्षेत्रों में होता है। कुछ मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. Web browsing (वेब ब्राउज़िंग): URL वेब ब्राउज़र द्वारा वेबसाइट तक पहुंचने के लिए उपयोग किया जाता है। जब आप वेबसाइट का नाम URL में टाइप करते हैं, तो ब्राउज़र उसे खोजकर आपको उस वेबसाइट पर निर्देशित करता है।
2. इंटरनेट संचार: वेबसाइटों, ईमेल, सोशल मीडिया, वीडियो साइट्स, आदि पर शेर किए जाने वाले लिंकों में URL का उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से उपयोगकर्ताओं को अन्य संसाधनों तक पहुंचने और उनके साथ संवाद करने का मार्ग प्रदान किया जाता है।
3. डाउनलोड और अपडेट: सॉफ़्टवेयर, ऐप्स, फ़ाइल, मीडिया, आदि को डाउनलोड और अपडेट करने के लिए भी URL का उपयोग किया जाता है। URL की मदद से यूज़र विशेष संसाधनों को आसानी से खोजकर डाउनलोड और अपडेट कर सकते हैं।
4. डिजिटल मार्केटिंग: URL का उपयोग वेबसाइटों की पब्लिसिटी और प्रमोशन में किया जाता है। विज्ञापन, ईमेल मार्केटिंग, सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग, आदि में URL को संदर्भित करके यूज़र को वेबसाइट पर खींचने या प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
5. वेब एप्लिकेशन और सेवाएं: URL का उपयोग वेब एप्लिकेशन और सेवाओं के लिए किया जाता है। यूज़र्स को इंटरनेट पर निर्दिष्ट सेवा या एप्लिकेशन के लिए एक निर्देशिका प्रदान करने के लिए URL का इस्तेमाल करा जाता है।
“अक्सर पूछे जाने वाले सवाल”
URL की आवश्यकता क्यो होती है?
जिस तरह किसी मकान या स्थान तक पहुंचने के लिए उसके पते को आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह आपको Internet पर उपलब्ध किसी संसाधन जैसे; फोटो, वीडियो आदि तक पहुंचने के लिए आपको उसके URL की आवश्यकता होगी।
URL का Full फॉर्म क्या है?
URL का Full Form है –
U – Uniform
R – Resource
L – Locator
URL का अविष्कार किसने किया?
URL का अविष्कार किया तैमूर बर्नर्स-ली (Tim Berners-Lee) ने किया।
URL Full Form In Hindi?
यूआरएल का पुरा नाम “यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर” है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, मे उम्मीद करती हूँ की आप जान गए है की (URL Kya Hai?) URL क्या है और यह कैसे काम करता है के बारे मे जान पाए होंगे। साथ ही आप url के इतिहास और भागो के बारे मे भी जान पाए होंगे।
आशा है कि आपको आज का हमरा आर्टिकल URL Kya Hai?आपको पसंद आया होगा और आपको बहुत सारी जानकारी भी मिली होंगी। हमने पुरा प्रयास करा है इस आर्टिकल को सरल भाषा में तैयार करके आप तक पहुंचाने का।
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धन्यवाद